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गुरु हो तो ऐसा…अपने खर्च से बुलाया बच्चों को स्कूल, पढ़ाई के साथ संवार दिया भविष्य

गुरु हो तो ऐसा…अपने खर्च से बुलाया बच्चों को स्कूल, पढ़ाई के साथ संवार दिया भविष्य

सीहोर, एमपी विश्वास न्यूज, राजेश माँझी

सीहोर। प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है। खास तौर पर दूरदराज के गांव में बने प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में सुविधाओं का टोटा रहता है। काफी स्कूल तो ऐसे हैं जहां बच्चों की बैठने की व्यवस्था ठीक नहीं है, पीने के पानी का भी कोई इंतजाम नहीं रहता है। मौजूदा दौर में सरकारी स्कूलों में असुविधाओं की वजह से ही बच्चों का दाखिला कम हो रहा है। लोग भी सरकारी स्कूलों बच्चों को पढ़ाना नहीं चाह रहे हैं। ऐसे में सीहोर का एक सरकारी स्कूल नजीर बन रहा है। इस स्कूल को नजीर बनाने में सबसे बड़ा योगदान है यहां की एक कर्मठ शिक्षिका का, जिसने अपने वेतन के पैसों से न केवल बच्चों को स्कूल बुलाया गया। इसके साथ ही स्कूल की काया पलट दी।


यह कहानी एक सेवानिवृत्त शिक्षिका श्रीमती माया जोशी (रामचूर) की है, जिन्होंने शासकीय माध्यमिक शाला नईचंदेरी सीहोर में शिक्षा के प्रति समर्पित होकर गरीब बच्चों के जीवन में बदलाव लाया। उन्होंने स्कूली बच्चों को कॉपी-पेन उपलब्ध कराए, बारिश में बच्चों को स्कूल आने में मदद की, और शिक्षा के प्रति रुचि जगाई। उनके प्रयासों से छात्र उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं और छात्रवृत्ति प्राप्त कर रहे हैं। समाज सेवी ऍम एस मेवाड़ा ने बताया कि जोशी मैडम अपने निजी खर्चे से छात्रों के लिए की व्यवस्था की ताकि बारिश में भी बच्चे स्कूल आ सकें।


इस तरह संवारा बच्चों का भविष्य
गांव चंदेरी के समाज सेवी ऍम एस मेवाड़ा ने बताया कि बरसात के दिनों में ग्राम पीपलिया के छात्र गरीब (सपेरा डेरा) के छात्र विद्यालय नहीं आते थे, एवं ग्राम नई चंदेरी स्कूल से 3 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर बसें घुमक्कड़ समाज के गरीब पारिवारों के बच्चों को उनके माता-पिता उन्हें विद्यालय नहीं भेजते थे तब एक गुरु होने के नाते माया जोशी शिक्षिका अपने निजी खर्च से एक ऑटो की व्यवस्था करवाई जिससे बारिश में भी छात्र-छात्राएं विद्यालय आने लगे और मन लगाकर पढऩे लगे। छात्रों को में पढऩे के शिक्षा के प्रति रुचि पैदा की। आज यहां के छात्र उत्कृष्ट मॉडल स्कूल के बच्चे हैं जो वार्षिक छात्रवृत्ति 12 हजार रुपए प्राप्त कर रहे हैं। इसी तरह कुछ बच्चे 2 किलोमीटर दूर से पैदल चलकर आते थे। बच्चों को साइकिल दिलवाकर स्कूल आने के लिए प्रेरित किया। कुछ बच्चों के पास कपड़े नहीं थे तो अपने पैसे से उनको कपड़े दिलवाए कुछ बच्चों के पास स्कूल की फीस के पैसे नहीं थे तो अपनी तनख्वाह से उनकी पढ़ाई की फीस जमा करके बच्चों के भविष्य को संवारने का काम किया।
करीब दो दशक पहले नई चंदेरी को मिला था मिडिल स्कूल का दर्जा
ग्राम नई चंदेरी को मिडिल स्कूल करीब दो दशक पहले पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के सचिव और वर्तमान मुख्य सचिव अनुराग जैन द्वारा समाजसेवी एमएस मेवाड़ा की मांग पर मंजूर किया गया था। इसके लिए यहां के ग्रामीण जनों ने वल्लभ भवन मंत्रालय पहुंचकर एक वर्ष तक चक्कर लगाए थे, तब कहीं जाकर किसान व समाजसेवी एमएस मेवाड़ा द्वारा कैबिनेट से मंजूर कर कर इस स्कूल को खुलवाने में भूमिका निभाई। मिडिल स्कूल के उन्नयन के कुछ समय बाद से इस स्कूल में माया जोशी के रूप आदर्श शिक्षिका मिलीं। समाज सेवी श्री मेवाड़ा बताते हैं कि तब से लेकर उनके सेवानिवृत्त होने तक ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को दिए योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उनके द्वारा इस स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ाने अभियान चलाया गया। उन्होंने बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूल की बाउंड्री बाल बनवाने स्वयं चंदा उगाकर समाजसेवी मेवाड़ा व ग्रामीणों के प्रयासों से ये कार्य किया। इसके साथ ही स्कूल में स्वच्छ वातावरण और हरियाली के लिए पेड़ पौधे लगवाए। मेवाड़ा बताते हैं शिक्षिका स्वर्गीय आंगनबाड़ी टीचर रही श्रीमती संपत बाई शिक्षक गुरु स्वर्गीय श्री सेवाराम राठौर एवं स्वर्गीय श्री ब्रजकिशोर मार् साहब श्रीमती जोशी द्वारा किसानों के बच्चों को मिली शिक्षा से ग्राम चंदेरी के पढऩे वाले अनेक बच्चे शासकीय सेवा में अच्छे पदों पर पदस्थ होकर गांव का नाम रोशन कर रहे हैं। इस सब में योगदान गुरु का ही रहा है जो भगवान के रूप में गांव आकर गरीबों के बच्चों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर आदर्श शिक्षकों गुरुओं का सम्मान किया जाता है


एक आदर्श शिक्षिका वह है जो अपने छात्रों के प्रति समर्पित हो और उनकी शिक्षा के लिए अतिरिक्त प्रयास करने से भी पीछे न हटे। सीहोर की शिक्षिका रही श्रीमती जोशी द्वारा अपने खर्च से बच्चों को स्कूल बुलाना एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे एक शिक्षक छात्रों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। यह समर्पण और प्रतिबद्धता का प्रतीक है, और यह दर्शाता है कि एक शिक्षक के लिए छात्रों का कल्याण सबसे ऊपर है। स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने वाले अनेक बच्चे और उनके परिजन गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आदर्श शिक्षकों को स्कूल परिसर में सम्मानित किया जाता है परिजन और स्कूल से शिक्षा लेने वाले बच्चों का कहना है कि आदर्श शिक्षकों को द्वारा दिया गया मार्गदर्शन, सुनहरे भविष्य का पथ प्रदर्शन करता है, इसलिए ऐसे शिक्षकों को कभी भुलाया न जा सकता।

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