हजारों की संख्या में पारंम्परिक वेशभूषा पहनकर हाथ में तीर कमान लिए मनाया विश्व आदिवासी दिवस
नगर पालिका अध्यक्ष ने सीवन नदी के पास टंट्य मामा की प्रतिमा लागनोी की घोषणा

सीहोर, एमपी विश्वास न्यूज
सीहोर। बाल विहार ग्राउंड में आमसभा से महारैली में परिवर्तित होकर आमु आखा एक छै, जय जोहार का नारा है भारत देश हमारा है, एक तीर एक कमान आदिवासी एक समान ,जल जंगल जमीन कुणीन छै आमरी छै आमरी छै इत्यादि नारो के साथ जिला मुख्यालय पर अलग-अलग गांवो से पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा पहनकर हाथ में सजी धजी रंगबिरंगी तीर कमान, महिलाएं नारी शक्ति आदिवासी नाटी पहने, हाथ मे फालिया , कमर पर गोफन बांधकर, सिर पर लाल साफा ,गले मे आदिवासी पीला गमझा डालकर, पानी की हल्की-हल्की बौछारो के साथ आदिवासी लोकनृत्य करते हुए आदिवासी समाज का कुदरती प्राकृतिक रंग पीला झंडा और देश की आन बान शान तिरंगा हाथ में लेकर सांस्कृतिक महारैली नगर भ्रमण करते हुए शहर के नदी चौराहा गंगा आश्रम बस स्टेंड होते हुए भोपाल नाका पहुंचीं जहां सांस्कृतिक महारैली का समापन किया गया। कार्यक्रम के दौरान अति7िथ के रूप में पहुंचे नगरपालिका उपाध्यक्ष विपिन सास्ता नगर पालिका अध्यक्ष विकास पिं्रस राठौर ने सीवन नदी के पास क्रांतिकारी टट्य मामा की प्रतिमा लगाने और समाज की धर्म शाला निर्माण के लिए भूमि का प्रस्ताव कलेक्टर को भेजने की भी घोषणा की।
आदिवासियों का यह विशाल जनसैलाब देखने लायक था । अत्यधिक जनसंख्या के बाद भी रैली अनुशासनात्मक थी। संस्कृतिक महारैली का जगह-जगह स्वागत किया गया। सर्र्वप्रथम समाज के बुजुर्ग ड्हालो द्वारा ज्वार, नीम के पत्ते , पानी, हल्दी से प्राकृतिक पूजा अचज़्ना कर माँ प्रकृति तथा पुरखों को आमंत्रित किया गया तत्पश्चात सामाजिक व वैचारिक आमसभा का आयोजन किया गया । आमसभा को कई बौद्धिक वक्ताओं ने अपना उद्बोधन दिया। उद्बोधन मे जल जंगल जमीन , बोली भाषा , संस्कृति , रिती रिवाज , संवैधानिक अधिकार, शिक्षा स्वास्थ्य , स्वरोजगार, पारंपरिक रूढि़वादी ग्राम सभा, अनुसूचित क्षेत्र , पेसा कानून, धमाज़र््तरण , जनगणना, बेरोजगारी, पलायन, समाज के लिए जनप्रतिनिधियों की भूमिका आदि विषयों पर निर्भीक निडर और खुलकर वक्तव्य दिया गया।

सर्व आदिवासी समाज जिलाध्यक्ष रवि सोलंकी ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि आदिवासी समाज के मान्य अधिकारों का संरक्षण हो उनके जल जंगल जमीन और खनिज संपदा के अधिकार सुरक्षित रहें तथा अस्मिता आत्मसम्मान कला संस्कृति अस्तित्व व इतिहास कायम रहे एवं शिक्षा आदि का प्रचार प्रसार हो। संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य देश भारत भी है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार विश्व में 47.6 करोड़ से अधिक आदिवासी लोग रहते हैं, जो 90 देशों में रहते हैं 5 हजार विभिन्न संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, विश्व की 7 हजार भाषाओं में से अधिकतम भाषाएं बोलते हैं।विशाल आमसभा को संबोधित करते हुए समाजजनों ने कहा कि चाहे कोई भी सरकार हो आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा, जल जंगल जमीन के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है, आदिवासी समाज पर दिन प्रतिदिन शोषण और अत्याचार बढ़ता ही जा रहा है इसलिए अब वक्त है स्वयं का नेतृत्व खडा़ किया जाये। संविधान बनने से पूर्व भी आदिम आदिवासी समाज में गांव प्रधान पटेल द्वारा छोटे-मोटे झगड़ों या अन्य घटनाओं का निपटारा गांव में ही कर लिया जाता था लेकिन अब थाना कोटज़् कचहरी के चक्कर काटकर लूटा रहा है आदिवासी समाज। हमें अपनी ग्राम सभा को वापस मजबूत करने का समय आ गया है।

इन वरिष्ठजनों ने भी किया संबोधित
सभा को प्रोफेसर ओमप्रकाश धुर्वे गंजबसोदा, एडीए प्रहलाद सस्त्या राजगढ़, सीताराम सरेआम रिटायर्ड एडिशनल एसपी, निर्मला सुनिल बारेला अध्यक्ष मंत्री आदिवासी वित्त निगम, प्रेमा धुर्वे भोपाल, विपिन सास्ता नगरपालिका उपाध्यक्ष सीहोर, शैलेश ‘शैलÓ -कवि , जिला मिडिया प्रभारी बालाघाट, प्रोफेसर रामनारायण रामभगत, कुमारी कृष्णा सूर्यवंशी,लक्ष्मण कर्मा जिला पंचायत सदस्य इंदरसिंह पटेल कमल कीर कमलेश दोहरे ने संबोधित किया।
महारैली में इन रहा महत्वपूर्ण योगदान
कार्यक्रम में हरीराम डुडवे, डॉ.सुरेन्द्र धुर्वे, जनमसिंह परमार, सुर सिंह बारेला जनपद अध्यक्ष, ओमप्रकाश ससत्या, नारी शक्ति बहन अनिता सस्त्या, बहन अनिता चौहान, कृष्णा सुयज़्वंशी ग्राम लसुडिय़ा सेखु, संदीप प्रजापति, श्रीराम बारेला, धायखेड़ा सरपंच दिनेश सेमलिया, दयाराम बारेला, राज मरकाम, कृष्णकांत दोहरे, प्रदीप बरखाने (भीम आमीज़्), अरविंद जमरे जयस कायज़्कताज़् सहित बुधनी, भैरूंदा, इछावर, आष्टा, श्यामपुर, दोराहा, रेहटी, बिल्किशगंज, भोजपुर, देवास व निमाड़ के समस्त आदिवासी सगाजन व संगठनों के क्रांतिकारी कायज़्कताज़् उपस्थित रहे। कायज़्क्रम की अध्यक्षता रवि सोलंकी जयस जिला अध्यक्ष सीहोर ने की व मंच संचालन नारी शक्ति अनिता बारेला, स्मृति धुर्वे व सामाजिक कार्यकर्ता संदीप प्रजापति ने किया एवं कैलाश जमाले ने आभार व्यक्त किया।